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ना जाने ऐसा क्यू होता है

  • Writer: Vinita
    Vinita
  • Mar 3, 2020
  • 1 min read

Updated: Mar 12, 2020


ना जाने ऐसा क्यू होता है..

किसी रोज आफताबके रंग दिखाई देते है..

कोई अनजाना, जाना-पहेचानासा लगता है..l


ना जाने ऐसा क्यू होता है..

थके दिनके बाद भी शाम सुहानी लगती है..

जाना-पहेचाना वो जाने-जिगर दोस्त बनता है..l


ना जाने ऐसा क्यू होता है..

लंबी रात जागने लगती है..

जिगरी दोस्त जान चुराके जाता है..


ना जाने ऐसा क्यू होता है..

हर घडी इंतजारकी होती है..

जानेमन, जानेहया, जाने कहा कहा दिखता है..


विनीता धुपकर


 
 
 

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